चूँ चूँ करके रोज बुलाती।
जाते ही झट से उड जाती।
रँग बिरँगे पँखोँ वाली,
डरते डरते नभ पर जाती॥
आकरके धरती पर उठना,चलना,मुडना सीख रही।
एक नई चिडिया है धीरे धीरे उडना सीख रही॥
असफल रहती और गिर जाती।
किन्तु आसमाँ पर फिर जाती॥
उठ उठ करके जब वह गिरती,
ऐसा लगता वह मर जाती॥
बहुत दूर जाने के खातिर, सब से बिछडना सीख रही।
एक नई चिडिया.....
-बालकवि अर्पित
जाते ही झट से उड जाती।
रँग बिरँगे पँखोँ वाली,
डरते डरते नभ पर जाती॥
आकरके धरती पर उठना,चलना,मुडना सीख रही।
एक नई चिडिया है धीरे धीरे उडना सीख रही॥
असफल रहती और गिर जाती।
किन्तु आसमाँ पर फिर जाती॥
उठ उठ करके जब वह गिरती,
ऐसा लगता वह मर जाती॥
बहुत दूर जाने के खातिर, सब से बिछडना सीख रही।
एक नई चिडिया.....
-बालकवि अर्पित
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