जहालत के अंधेरे भी कभी के छँट गए होते।
अगर हम छोड़कर राहों को इनकी हट गए होते।
मैं पंछी हूँ मुझे आकाश तक उड़ना ही उड़ना है,
अगर हम थक गए होते तो अब तक मिट गए होते।
-शुभम शुक्ल
8127089997
अगर हम छोड़कर राहों को इनकी हट गए होते।
मैं पंछी हूँ मुझे आकाश तक उड़ना ही उड़ना है,
अगर हम थक गए होते तो अब तक मिट गए होते।
-शुभम शुक्ल
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