बेटी
चिड़िया हूँ मै
पर पंख नहीं है मेरे
फिर भी
कभी डाल पर
कभी पात पर
मायका भी है मेरा
ससुराल भी है मेरा
पर घर नहीं है मेरा
बचपन गुजरा माँ बाप की छाव में
आगे का जीवन गुजर पिया के घर में
माँ बाप कहते है
बेटी तो पराई होती है
ससुराल वाले कहते है
ये तो पराये घर से आई है
ऐ दुनिया बनाने वाले
तू ही बता ये बेटियां
किस घर के लिए बनाई है ।
✍ एल आर सेजू थोब
चिड़िया हूँ मै
पर पंख नहीं है मेरे
फिर भी
कभी डाल पर
कभी पात पर
मायका भी है मेरा
ससुराल भी है मेरा
पर घर नहीं है मेरा
बचपन गुजरा माँ बाप की छाव में
आगे का जीवन गुजर पिया के घर में
माँ बाप कहते है
बेटी तो पराई होती है
ससुराल वाले कहते है
ये तो पराये घर से आई है
ऐ दुनिया बनाने वाले
तू ही बता ये बेटियां
किस घर के लिए बनाई है ।
✍ एल आर सेजू थोब
0 comments:
Post a Comment