दुनिया में आते-जाते है लोग
ना जाने क्या-क्या कह जाते है
ईर्ष्या द्वेष की भावना लिये
इक -दूसरे को मार देते है लोग
लालच और लोभ की खातिर
मिट जाते है लोग
कामना और हवस के बीच
झूलते जानवर बन जाते है लोग
देखकर दूसरे का सुख
खुद भी जल जाते है लोग
ए मालिक बता ये क्या हो गया इंसान को
प्यार की धरा पर देखो
नफरतों के बीज बो जाते है लोग *****
कविता मिश्रा
ना जाने क्या-क्या कह जाते है
ईर्ष्या द्वेष की भावना लिये
इक -दूसरे को मार देते है लोग
लालच और लोभ की खातिर
मिट जाते है लोग
कामना और हवस के बीच
झूलते जानवर बन जाते है लोग
देखकर दूसरे का सुख
खुद भी जल जाते है लोग
ए मालिक बता ये क्या हो गया इंसान को
प्यार की धरा पर देखो
नफरतों के बीज बो जाते है लोग *****
कविता मिश्रा
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