मैंने दरिया समन्दर किनारा न समझा
है कहना क्या उनको इशारा न समझा
छोड़ कर हम तन्हा चले ही गये पर
हाथों में हाथ पाकर सहारा न समझा
कवि नदीम जगदीशपुरी
है कहना क्या उनको इशारा न समझा
छोड़ कर हम तन्हा चले ही गये पर
हाथों में हाथ पाकर सहारा न समझा
कवि नदीम जगदीशपुरी
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