न जाने कितने पन्नों से बनी होती है ये ज़िंदगी की क़िताब
इसके पन्नों में ही छुपा होता है हमारे सुख दुख का हिसाब
आज बैठी सोचने कि अब तक क्या खोया क्या पाया
तो फिर मैंने किताब के पन्नो को पलटाया
और देखा कि...
इसके पन्नों में ही छुपा होता है हमारे सुख दुख का हिसाब
आज बैठी सोचने कि अब तक क्या खोया क्या पाया
तो फिर मैंने किताब के पन्नो को पलटाया
और देखा कि...
कुछ पीले पड़ गए , कुछ धुंधले हो गए
कुछ की स्याही मिट गयी, कुछ पर मिटटी लग गयी
कुछ फट गये थे मेरी गलतियों से और कुछ थे
जिन्हें मैंने ही जलाया था माचिस की तीलियों से
कुछ की स्याही मिट गयी, कुछ पर मिटटी लग गयी
कुछ फट गये थे मेरी गलतियों से और कुछ थे
जिन्हें मैंने ही जलाया था माचिस की तीलियों से
कुछ पन्नों में थी बात ग़ज़ब, कुछ पन्नों में वो बात न थी
कभी वक़्त मिला नही पढ़ने को कभी वक़्त मिला तब याद न थी
कभी वक़्त मिला नही पढ़ने को कभी वक़्त मिला तब याद न थी
कुछ पन्ने लगते अपने से, कुछ पन्ने थे बेगाने से
कुछ पे सजी थी महफिलें, कुछ पन्नों पे वीराने थे
कुछ पे सजी थी महफिलें, कुछ पन्नों पे वीराने थे
कुछ आँखों पे मोती रख देते, कुछ होंठों पर फूल खिला देते
कभी बात गुलाबों की करते, कभी कांटों की याद दिला देते
कभी बात गुलाबों की करते, कभी कांटों की याद दिला देते
कुछ अनचाहे से पन्ने थे और अनमांगे लम्हात थे
कभी अपनी रही मजबूरिया, कभी अनदेखे हालात थे
कभी भ्रम थे बड़े जो टूट गए , कभी एक नया विश्वास रचा
कुछ रिश्तों को एक नाम मिला, कुछ रिश्तों का बस नाम बचा
कभी अपनी रही मजबूरिया, कभी अनदेखे हालात थे
कभी भ्रम थे बड़े जो टूट गए , कभी एक नया विश्वास रचा
कुछ रिश्तों को एक नाम मिला, कुछ रिश्तों का बस नाम बचा
इन पन्नों में थी याद बोहत, इन पन्नों में थे राज़ बोहत
कुछ लिखा न था अल्फ़ाज़ों में, पर गहरे थे एहसास बोहत
कुछ लिखा न था अल्फ़ाज़ों में, पर गहरे थे एहसास बोहत
हम सबकी किताब यूं ही रंगीन होती है
जैसे ये ज़िन्दगी कभी खुशनुमा कभी ग़मगीन होती है
रंग वही होते हैं, लेकिन सूरत अलग अलग बनती है
रंग मनचाहे हो तो तस्वीर और अनचाहे हो तो तक़दीर बनती है....
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जैसे ये ज़िन्दगी कभी खुशनुमा कभी ग़मगीन होती है
रंग वही होते हैं, लेकिन सूरत अलग अलग बनती है
रंग मनचाहे हो तो तस्वीर और अनचाहे हो तो तक़दीर बनती है....

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