जननी स्वतन्त्रता से वार्तालाप
*"""""****
एक दिन मैंने पूँछा जननी स्वतन्त्रता से
सुत हैं स्वतन्त्र तेरे इसका क्या प्रमाण है
कलुषित आचरण जन प्रतिनिधियों के
जिनके विरुद्ध ही विषैले वज्रवाण हैं
तेरे वात्सल्यपूर्ण वक्ष में प्रहार हेतु
देश द्रोह और भ्रष्टाचार की कृपाण है
लोकतन्त्र रो रहा है स्वविवेक खो रहा
अम्ब तेरे कण में भी कण्ठगत प्राण हैं
माँ ने कहा,सम्यक स्वतन्त्र शुचि चिन्तन में
नर को स्वमन का कलुष धोना चाहिए
दुष्ट दानवों में नहीं सभ्य जनगण में ही
विमल स्वतन्त्रा के बीज बोना चाहिए
निष्पक्ष विद्वजन प्राप्त करें उच्च पद
खलों को तो कारागार में ही होंना चाहिए
सहज अपावन है राजनीति इस हेतु
जन प्रतिनिधि दार्शनिक होना चाहिए
क्रोध में तू बोल रहा मेरा दुख तौल रहा
खौल रहा खून तेरा व्यर्थ आर्तनाद है
कौन रोक पाया तुझे सत्य बोलने से आज-
-मेरा अस्मिता का यह प्रमाण निर्विवाद है
प्रतिनिधि तूने ही चुने हैं ऐसे नीच खल
और अब करता स्वयं ही विषाद है
व्यक्ति की जो शक्ति अभिव्यक्ति में निहित
उस काली को जगा रे तू'अमित' सा प्रसाद है
जिनसे थी आशा मिटाऐंगे आतंकवाद
जनता इन्हीं के आतंक की शिकार है
मत बहुमत और पद जो आतंक से ही
प्राप्त कर उस नीच पुत्र को धिक्कार है
दोष यह स्वतन्त्रता का नहीं स्वार्थतन्त्रता-
जनित कार्यशैली का अशिष्ट प्रकार है
जो हैं राष्ट्र चिन्तक चरित्रवान कर्मनिष्ठ
मेरा पुत्र होने का उसी को अधिकार है||
©✍अमित कुमार रावत
शिक्षक कॉलौनी,महरौनी (ललितपुर)
+919450032196
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एक दिन मैंने पूँछा जननी स्वतन्त्रता से
सुत हैं स्वतन्त्र तेरे इसका क्या प्रमाण है
कलुषित आचरण जन प्रतिनिधियों के
जिनके विरुद्ध ही विषैले वज्रवाण हैं
तेरे वात्सल्यपूर्ण वक्ष में प्रहार हेतु
देश द्रोह और भ्रष्टाचार की कृपाण है
लोकतन्त्र रो रहा है स्वविवेक खो रहा
अम्ब तेरे कण में भी कण्ठगत प्राण हैं
माँ ने कहा,सम्यक स्वतन्त्र शुचि चिन्तन में
नर को स्वमन का कलुष धोना चाहिए
दुष्ट दानवों में नहीं सभ्य जनगण में ही
विमल स्वतन्त्रा के बीज बोना चाहिए
निष्पक्ष विद्वजन प्राप्त करें उच्च पद
खलों को तो कारागार में ही होंना चाहिए
सहज अपावन है राजनीति इस हेतु
जन प्रतिनिधि दार्शनिक होना चाहिए
क्रोध में तू बोल रहा मेरा दुख तौल रहा
खौल रहा खून तेरा व्यर्थ आर्तनाद है
कौन रोक पाया तुझे सत्य बोलने से आज-
-मेरा अस्मिता का यह प्रमाण निर्विवाद है
प्रतिनिधि तूने ही चुने हैं ऐसे नीच खल
और अब करता स्वयं ही विषाद है
व्यक्ति की जो शक्ति अभिव्यक्ति में निहित
उस काली को जगा रे तू'अमित' सा प्रसाद है
जिनसे थी आशा मिटाऐंगे आतंकवाद
जनता इन्हीं के आतंक की शिकार है
मत बहुमत और पद जो आतंक से ही
प्राप्त कर उस नीच पुत्र को धिक्कार है
दोष यह स्वतन्त्रता का नहीं स्वार्थतन्त्रता-
जनित कार्यशैली का अशिष्ट प्रकार है
जो हैं राष्ट्र चिन्तक चरित्रवान कर्मनिष्ठ
मेरा पुत्र होने का उसी को अधिकार है||
©✍अमित कुमार रावत
शिक्षक कॉलौनी,महरौनी (ललितपुर)
+919450032196
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