हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Monday, 5 November 2018

Bewafai shayari by Kavi Nadeem Jagdishpuri

जिंदगी से तुम्हारे हम दफ़ा हो गए 
मोहब्बत में थोडा हम कफा हो गए
बदनाम न हो जाओ ज़माने में तुम
इसीलिए सनम हम ही बेवफा हो गए
        Kavi Nadeem Jagdishpuri


 
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Thursday, 1 November 2018

Hindi or urdu ko nahi ab ye gavanra hai Gazal by Shayar Nadeem Jagdishpuri

हिंदी और उर्दू को नहीं अब ये गवाँरा हैं
हमारी तहजीब को मिलकर सियासत ने ही मारा है

कैसे छोड़ दें ये मुल्क,  ये घर हमारा है
जिंतना हक़ तुम्हारा था , उतना हक़ हमारा है

कोई शागिर्द है अपना जो गद्दार है हम्मे
अभी तक शक तुम्हारा था अब ये शक हमारा है

मोहब्बत है तिरंगे से लिपट कर जान दे देंगे
कल भी जय हिन्द कहते थे आज भी ये ही नारा है

रहना है कहाँ हमको क्या तुम अब सिखाओगे
ये भारत माँ की गोदी है ये आंचल  हमारा है
               कवि नदीम जगदीशपुरी


Hindi or urdu ko nahi ab ye gavanra hai
hamari tahjeeb ko milkar siysat ne hi mara hai

kaise chhod den ye mulk ye ghar hamara hai
jitna hak tumhara tha utna hak hamara hai

koi shagird hai apna jo gaddar hai hamme
abhi tak shak tumhara tha ab ye shak hamara hai

mohabbat hai tirange se lipat kar jaan de denge
Kal bhi Jay hind kahte the aj bhi yehi Nara hai

rahna hai kahan hamko kya tum ab sikhaoge
ye bharat maa ki godi hai ye achal hamara hai





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Saturday, 8 September 2018

Chand with kavita

मेरी दिलवार मेरी हमदम मेरी जाना बनोगी तुम
मेरे जीने मेरे मरने का इक बहाना बनोगी तुम
भले तुम दूर हो जाओ मेरी भी जिंदगी से पर
गायेगी साथ ये दुनिया वही  तराना बनोगी तुम

meri dilbar meri hamdam meri jana banogi tum
mere marne mere jine ka ik bahana banogi tum
bhale tum door ho jao meri bhi jindagi se par
gayegi sath ye duniya wo tarana banogi tum

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Saturday, 4 August 2018

New Muktak by Kavi Nadeem Jagdishpuri

समंदर से भी गहरा हो,हमारा प्यार ऐ  दिलवर
अम्बर से भी ऊंचा हो हमारा प्यार ऐ  दिलवर
बड़ी जालिम है दुनिया ये,हमे जीने नहीं देगी
बसाते हैं चलो अपना नया संसार ऐ  दिलबर
 कवि  नदीम जगदीशपुरी
     8795124923
       
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Friday, 27 July 2018

Gazal by Kavi Nadeem

तुमने कहा है तो, सुना ही दूं
हाल दिल का तुम्हें बता ही दूं

बेनकाब हो जाएगी मोहब्बत
भरी महफ़िल में आज गा ही दूँ

कब तक छुपाउंगा जमाने से
अब चाँद से पर्दा हटा ही दूँ

शौक हैं साहेब, नशा तो नही
दो चार ग़ज़ल और सुना ही दूँ

कोई नही, हम दोनो के सिवा
कहो चरागों को अब बुझा ही दूँ

क्या हुनर क्या तजुर्बा कुछ नही नदीम
अब अधर से अधर को मिला ही दूँ

                   (अधर=होंठ)

कवि नदीम जगदीशपुरी
whatsapp 8795124923


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Tuesday, 17 July 2018

New Gazal by Kavi Nadeem

आँसूओं को थोड़ा सा बहा लेना तुम
अंदर ही अंदर मुस्करा लेना लेना तुम
देखना जब मुझको तुम पहली दफा
अपने दुपट्टे से चेहरा छुपा लेना तुम
न माने दिल गर तो समझाना उसे
कफन चेहरे से मेरे हटा लेना तुम
हो सकता है लौट आऊं तुम्हारे लिए
छूकर उंगलियों को जगा लेना तुम
ले जाने लगें जब जनाजा मेरा
आकरके पास कुछ बता देना तुम
हो जाएगी पूरी तमन्ना नदीम
बस तस्वीर मेरी गले से लगा लेना तुम

कवि नदीम जगदीशपुरी


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Friday, 22 June 2018

New shayri by Kavi Nadeem

अब मोहब्बत में बढी तादाद तेरी है
दुनिया को जरूरत आज तेरी है
गुरूर है उस चाँद को आज भी लेकिन
जुगनुओं से चमचमाती रात तेरी है
कुछ तो खास है गजल ये नदीम
अब औरों से हटकर बात तेरी है

Kavi Nadeem



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Friday, 15 June 2018

EID Mubarakh By Nadeem

खैर बरक़त से जरा हमको तेरा दीद हो जाये
आओगे  मिलने आज तुम उम्मीद हो जाये
निकला है चाँद ये अब तुम भी निकल आओ
आ जाओ अगर छत पर फिर ईद हो जाये

कवि नदीम जगदीशपुरी
8795124923


आप सबको ईद मुबारख


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Saturday, 9 June 2018

Kavi Nadeem New shayri 2018

तेरी आंखों का मैं तो काजल सा हो जाता हूं
बरसूं तेरे प्यार में आकर बादल सा हो जाता हूं
अच्छा भला था पहले यारो अब जाने क्या हो जाता है
देख तुम्हें जब लेता हूं पागल सा हो जाता हूं
      कवि नदीम जगदीशपुरी
        8795124923


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Tuesday, 29 May 2018

Kavi Nadeem Jagdishpuri

मोहब्बत की नई  राग देंगे
सर पर तुम्हारे ताज देंगे
हाथों में रख दो गर हाथ तुम
कसम से उम्र भर साथ देंगे

     कवि नदीम जगदीशपुरी
          8795124923

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Sunday, 27 May 2018

Kavi Nadeem Jagdishpuri

मोहब्बत में औकात उसने की
दिल की बात उसने की
और क्या बताऊँ तुम्हें  यारों
हर बार सुरवात उसने की

  कवि नदीम जगदीशपुरी



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Saturday, 26 May 2018

Mohan Muntazir

मसरूफ़ियत से खुद को अकेला निकालकर
आओ कभी तो वक़्त ज़रा सा निकालकर
क्या थी कमी हमारी मुहब्बत में बेवफ़ा
हमने तो रख दिया था कलेजा निकालकर
मोहन मुन्तज़िर


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Saturday, 19 May 2018

कवि विजय कुमार राज

तुम्हारे बिन न जाने क्यों,ये मेरा दिल तड़पता है।
अगर तुम पास आ जाओ,मेरा मन-तन महकता हैं।
हमारा रिश्ता है कैसा मैं तुमसे कह नहीं सकता।
वहां अंगड़ाई ले लो तुम,यहां ये दिल बहकता है।
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NAZM on Najeeb JNU by Imran Pratapgarhi

कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा
एक नज़्म JNU के नजीब की मॉं के एहसासों की
••••••••••••••••••••••

सुना था कि बेहद सुनहरी है दिल्ली,
समंदर सी ख़ामोश गहरी है दिल्ली !
मगर एक मॉं की सदा सुन ना पाये,
तो लगता है गूँगी है बहरी है दिल्ली !!

वो ऑंखों में अश्कों का दरिया समेटे,
वो उम्मीद का इक नज़रिया समेटे !
यहॉं कह रही है वहॉं कह रही है
तडप करके ये एक मॉं कह रही है !

कोई पूँछता ही नहीं हाल मेरा.....!
कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा...!

उसे ले के वापस चली जाऊँगी मैं,
पलट कर कभी फिर नहीं आऊँगी मैं !
बुढापे का मेरे सहारा वही है,
वो बिछडा तो ज़िन्दा ही मर जाऊँगी मैं !

मेरी चीख़ और मेरी फ़रियाद कहना,
ये मोदी से इक मॉं की रूदाद कहना !

कहीं झूठ की शख़्सियत बह ना जाये,
ये नफ़रत की दीवार छत बह ना जाये !
है इक मॉं के अश्कों का सैलाब साहब,
कहीं आपकी सल्तनत बह ना जाये !!

वो है ज़िन्दगी भर की मेरी कमाई,
वही तो है सदियों का आमाल मेरा....!!

कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा


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Saturday, 12 May 2018

munawwar rana

इसी गली में वो भूखा किसान रहता है!
ये वो ज़मीन है जहाँ आसमान रहता है!!

मैं डर रहा हूँ हवा से ये पेड़ गिर न पड़े!
कि इस पे चिडियों का इक ख़ानदान रहता है!!

सड़क पे घूमते पागल की तरह दिल है मेरा!
हमेशा चोट का ताज़ा निशान रहता है !!

तुम्हारे ख़्वाबों से आँखें महकती रहती हैं!
तुम्हारी याद से दिल जाफ़रान रहता है !! (जाफ़रान = केसर )

हमें हरीफ़ों की तादाद क्यों बताते हो! ( हरीफ़ों की तादाद = साथीदारांची संख्या )
हमारे साथ भी बेटा जवान रहता है!!

सजाये जाते हैं मक़तल मेरे लिये ‘राना’! ( मक़तल = कत्तलखाने )
वतन में रोज़ मेरा इम्तहान रहता है!!
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मुनव्वर राणा

उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं!
क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं!!

जो भी दौलत थी वो बच्चों के हवाले कर दी!
जब तलक मैं नहीं बैठूँ ये खड़े रहते हैं !!

मैंने फल देख के इन्सानों को पहचाना है!
जो बहुत मीठे हों अंदर से सड़े रहते हैं!!

मुनव्वर राणा .

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Ghazals of Munawwar Rana |

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है !
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है!! ( तन्हा=एकटे )

अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ हो नही सकता !
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है!!

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Ghazals of Munawwar Rana

राना कभी शाहों की ग़ुलामी नहीं करता.........

हम दोनों में आँखें कोई गीली नहीं करता!
ग़म वो नहीं करता है तो मैं भी नहीं करता!!

मौक़ा तो कई बार मिला है मुझे लेकिन!
मैं उससे मुलाक़ात में जल्दी नहीं करता!!

वो मुझसे बिछड़ते हुए रोया नहीं वरना!
दो चार बरस और मैं शादी नहीं करता!!

वो मुझसे बिछड़ने को भी तैयार नहीं है!
लेकिन वो बुज़ुर्गों को ख़फ़ा भी नहीं करता!! ( बुज़ुर्गों = वडिलधारे, ख़फ़ा = नाराज )

ख़ुश रहता है वो अपनी ग़रीबी में हमेशा!
‘राना’ कभी शाहों की ग़ुलामी नहीं करता!! ( शाह = बादशाह )

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Happy Mothers Day

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

Happy Mothers Day




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Monday, 30 April 2018

Kavi Nadeem Jagdishpuri

तेरी दिल की दुनिया में अब घूमना है मुझको
आकर नशे में तेरे अब झूमना है मुझको
हो दूर क्यू खड़े तुम पास जरा आओ
होठों को तेरे होंठों से अब चूमना है मुझको
     कवि नदीम जगदीशपुरी



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Maya Srivastav



Wo chhoti chhoti baaton pe rooth jana tera......
Aur thoda manane pe maan jana tera.... 
Aaj bhi mujhe me baaki hai yaadein teri....
Aa meri ankhon me padh le fasana tera....
Wo mere dard me toot jana tera.....
aur khushi me meri muskurana tera....
Aaj bhi yaad hai mujhe jaanejaa khwab bankar meri ankhon me theher jaana tera.....
Meri sab galtiyon ko bhool jaana tera....
Mujhe seene se lagakar muskurana tera....
Kaise kar loon yakeen ke fareebi tha tu....
Aur fareb tha mera dil me dhadk jaana tera....
🌸🌸🌸MAYA S.M.🌸🌸Image may contain: 1 person, closeup
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Sunday, 22 April 2018

अब पास आओ तुम भी नम्बर जरा बता दो

हूँ जमी पर मै भी अम्बर जरा बता दो
होगा कब अपना यारा स्वयंबर जरा बता दो
है ठीक नहीं यूँ हीं मन ही मन मुस्कराना
अब पास आओ तुम भी नम्बर जरा बता दो
       कवि नदीम
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Wednesday, 11 April 2018

शुभम् शुक्ल



एक कोशिश और-
कोई भी आईना किस शख्स को अच्छा बताता है।
जो जैसा देखता है उसको वो वैसा बताता है।
कि आधा गाँव जिस बरगद के नीचे छाँव लेता है,
उसी बरगद को पूरा गाँव क्यूँ बूढ़ा बताता है।
कहीं मक्खी न बैठें माँ के ज़ख्मों पर रखे था मुँह,
वो अपने आपको एक गाय का बछड़ा बताता है।
"अब उन होंठों के आगे हम सभी को कौन पूछेगा"
मेरी थाली में रखा एक रसगुल्ला बताता है।
पसीना खून निकला है हमारी फीस की ख़ातिर,
सितारे क्या हैं ये तो बाप का कन्धा बताता है।
मेरी कमज़ोर आँखें थीं बहू का जार क्या टूटा, 
ज़रा सी बात पर बेटा मुझे अन्धा बताता है।
मेरी आँखों में एक चेहरा तेरे चेहरे से मिलता है,
तेरी आँखों के कमरे का ये आईना बताता है।
-शुभम् शुक्ल
8127089997


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कवि विजय कुमार राज

अगर तुम सामने हो धैर्य हम खोते नहीं अम्मा।
तुम्हारा हाथ सिर पर हो तो हम रोते नहीं अम्मा।
तेरा आँचल मुझे यादें दिला देता है बचपन कीं।
बिना लोरी सुनें रातों में हम सोते नहीं अम्मा।

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Nadeem Khan Anuj

मुल्क में मेरे अब ना कोई दंगा हो जाए 
फिदा वतन पर हर कीट पतंगा हो जाए 
जाँ न्योछावर कर दूँ अपनी वतन पर 
कफ़न मेरा भी दोस्तों तिरंगा हो जाए 
By: Nadeem Khan Anuj / Shayar Anuj
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कवि नदीम जगदीशपुरी

दिल की बात निगाहों में हो गई
चलते फिरते यूँ ही राहों में हो गई

अजी अब हाल हमारा न पूछिये
कल तो रात उन्ही की बाँहों में हो गई

टूट गई पंखुडियां सारी गुलाब की
महक सारी फिजाओं में हो गई

कोयल भी गीत गुनगुनाने लगी
बात इतनी सी हवाओं में हो गई

  कवि नदीम जगदीशपुरी

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Thursday, 29 March 2018

Kavi Nadeem jagdishpuri

तेरी यादों में उड़ करके कहीं बादल न हो जाऊ
रहूँ तेरी निगाओं में कहीं काजल न हो जाऊं
मुस्कराना छोड़ दो ऐसे कहीं फिर हाल ये न हो
देख लूँ ऐसे तुमको मैं फिर पागल न हो जाऊ
  Kavi Nadeem jagdishpuri
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Tuesday, 27 February 2018

डा कुमार विश्वास

मैं अपने गीत-ग़ज़लों से उसे पैग़ाम करता हूँ 
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ 
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना 
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ..."
(डा कुमार विश्वास)
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Tuesday, 20 February 2018

kavi Nadeem Jagdishpuri


दिल को लाचार कर लिया हमने
जिंदगी बहार कर लिया हमने
खफा है जमाना आज मुझसे
जो आपसे प्यार कर लिया हमने
किसको क्या मालूम क्या हुवा
यहाँ दिल को बाज़ार कर लिया हमने
लौट कर वापस न आये दोबारा
कितना इन्तजार कर लिया हमने
हाँ माना इश्क आग का दरिया है मगर
तैंर जाऊँगा ये करार कर लिया हमने
और कितना जलुंगा,जल चूका हूँ मैं
अब तो खुद को अंगार कर लिया हमने

kavi Nadeem Jagdishpuri
  8795124923

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Wednesday, 14 February 2018

Madhyam Saxena

दिल के सब जज़्बात जताने लगती है।
जब कोई लड़की शरमाने लगती है।।
याद तेरी इस हद तक आने लगती है।
तन्हाई तस्वीर बनाने लगती है।।
ख़्वाब में तेरा फूल सा चेहरा देखें तो।
आँखों तक से खुशबू आने लगती है।।
उसको मुझसे जब,कुछ कहना होता है।
चौखट पर कंगन खनकाने लगती है।।
हम दोनों में जब भी , झगड़ा होता है।
पायल तेरी धौंस जमाने लगती है।।
दिल को अपने डांट डपटकर रक्खें तो।
धड़कन कितना, शोर मचाने लगती है।।
{ Apki fav. gazal shukla ji}
Happy Valentine's day 
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Sunday, 11 February 2018

कवि नदीम जगदीशपुरी


कभी तेज कभी आहिस्ता हो जाता है
चीज ये बहुत सस्ता हो जाता है
पास नही होती दौलत जब भी यारों
नाजुक फिर सारा रिश्ता हो जाता है
  कवि नदीम जगदीशपुरी

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Wednesday, 7 February 2018

LG NEXUS X5 7.1 NAUGHT FRP REMOVE BY GREAT UMT(RIZU007)

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