चार मिसरे अहबाब की ख़िदमत में हाज़िर है।
मज़दूर को ज़रा भी आराम तक न पहुँचें।
और उनकी महनतो का उन्हें दाम तक न पहुंचे।
यही चाहते हैं लीडर यही चाहते हैं अफ़सर।
कोई लाभ योजना का अब अवाम तक न पहुंचे।।
और उनकी महनतो का उन्हें दाम तक न पहुंचे।
यही चाहते हैं लीडर यही चाहते हैं अफ़सर।
कोई लाभ योजना का अब अवाम तक न पहुंचे।।
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