हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Sunday, 31 December 2017

Happy new year with friends

मोहब्बत में क्या हाल होगा
मगर जाने कैसा काल होगा
गुजर गया जैसा भी जाने दो
मोहब्बत भरा अगला साल होगा

 कवि नदीम जगदीशपुरी
 8795124923
नव वर्ष की हार्दिक बधाई आप सभी को
  Happy New year

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Friday, 3 November 2017

Kavi Nadeem Jagdishpuri

कीमती हूँ मगर दाम नही मिलते
मोहब्बत के अब शाम नही मिलते
फायदा क्या है पढ़ लिखकर यारों
दिल्ली में एक भी काम नही मिलते

       कवि नदीम जगदीशपुरी



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Wednesday, 25 October 2017

dr kumar vishwash muktak

Collection of Kumar Vishwas Poetry and Muktak (कुमार विश्वास की कविता और मुक्तक का संग्रह)

Collection of Kumar Vishwas Poetry and Muktak
Kumar Vishwas

Collection of Kumar Vishwas Poetry and Muktak

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Thursday, 19 October 2017

रवीन्द्र सोनी 'रवि'

दीप पर्व की शुभ कामनाओं सहित......
मन का अंधेरा मिटे, जग का अंधेरा मिटे,
मिटे हर अंधेरा आज, अहले चमन से ।
रिद्धि-सिद्धि, लक्ष्मी-गणेश संग कुवेर जी हैं,
धूप-दीप-पुष्प दे, मना लो हर जतन से ।
अखिल ब्रम्हांण के लिए है यही दुआ 'रवि',
निर्धन,अमीर 'घर' भरे अन्न-धन से ।
'दीप पर्व' आया एक 'दीप' यूं जलाओ मत्रों,
मन का अंधेरा आज मिटे हर मन से ।
आपका
रवीन्द्र सोनी 'रवि'
जगदीशपुर अमेठी (उ०प्र०)
मो०-1-९६२८५४६७४६
2- ९४५१७८२२२८

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-दुर्गेश



समझ रही हो ना..
चली जो आ रही अब तक बदल हर रीत जाएगी।
हमेशा हारकर खुद से तू खुद को जीत जाएगी।
कोई इतना भला कैसे किसी को चाह सकता है,
यही बस सोचने में उम्र तेरी बीत जाएगी।
-दुर्गेश

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#शुभम



किसानों के लिए भी हो किसानी के लिए भी हो।
दिया एक कृष्ण की मीरा दीवानी के लिए भी हो।
जो तिल तिल जल रही है सरहदों पर देश की खातिर,
हमारा एक दीपक उस जवानी के लिए भी हो।
#शुभम

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happy diwali wishes by kavi Nadeem

अंधकार सब दूर करे वो, पाप मिटा देता है
हर पापी मिटता है जो इन्साफ मिटा देता है
लेते वीर जन्म धरा पर, बनकर एक सवाली
आई है दिवाली ...आई है दिवाली ......२
प्रेम भाव उत्पन्न हुवा ईष्या मन से दूर हुई
प्यार मोहब्बत की परिभाषा मन में फिर उत्तीर्ण हुई
मिलकर गाते लोग यहाँ पर, भजन और कवाली
आई है दिवाली ...आई है दिवाली ......२
घृणा का तुम त्याग करो और,प्रेम की बंशी बजाओ
दीप जलाकर घर घर में हर घर को यार सजाओ
प्रेम में पड़ जाएँ यारा सब गुंडे और मवाली
आई है दिवाली ...आई है दिवाली ......२

  कवि नदीम जगदीशपुरी
     8795124923






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Friday, 6 October 2017

Vinay Samadhiya

होत तमासौ देश में,
नेता करें वबाल
खुद तौ दीवारें फांदें,
लरकन कौ धरैं खयाल
लूट ड़कैती, सीनाकशी,
इनके हैं हथियार
ओढ़ सफेदी खद्दर की,
बनरए शेर, सियार
सत्य, अहिंसा मीठी वानी,
जिनकौ करें प्रचार
परवारे गुंडा बनें,
देत तमाचा य़ार
जनता के सेवक बने,
निर्बल के दातार
कोठा ज़िनमें नोट भरे,
चुखरा कर रए पार
लगौ अंगूठा श्याई कौ,
ना क ख ग कौ ग्यान्
बैठ खटोला उड़ करें,
तकनीकी संधान
भोर महेरी, दुफर दही,
ज़िनके थे पकवान
मिनरल वाटर सैं नभैं,
पियत तऊ कौं छांन
तभ्ईं देश कौ आज जौ,
फट्टा बैठौ य़ार ।
खा खा कैं मौटे परे,
लेतऊ नईं डकार ll
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शब्दार्थ=
परवारे =बाद में
कोठा=कमरा, भोर=सुबह, दुफर=दोपहर
महेरी- दही और आटा का दलिया,
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muzaffar parvaz

चार मिसरे अहबाब की ख़िदमत में हाज़िर है।
मज़दूर को ज़रा भी आराम तक न पहुँचें।
और उनकी महनतो का उन्हें दाम तक न पहुंचे।
यही चाहते हैं लीडर यही चाहते हैं अफ़सर।
कोई लाभ योजना का अब अवाम तक न पहुंचे।।
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pawan prasad best shayri

जो कुछ भी धड़कता है वो भी कब तक,
तमाम उम्र जो कमाया, खर्च ही कहां हुआ
ऊपरवाले से इल्तज़ा है -
तिजोरी का ढेर बहुत है, ऐसा न हो गवां ही दूँ,
ऊपर आकर जो पसार दूँ, तुम से भी मैं यही सुनूं -
मैं ईश्वर हूँ ! मानने को तैयार नहीं की -
नीचे चोर तुमको मिले नहीं !?!
जो कुछ भी धड़कता है वो भी कब तक ।
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Vinay Samadhiya

नाक बड़ी अौर आँख तनक सी
करें निपोछे काम,
सबन कौं बड़े सुहाने,
खा खाकें गर्राय़,करवैं 
धरती कों बदनाम
सबन कौं बड़े सुहाने,
सोच बड़ी अौर नीची करनीं,
होत दिखावा नाम,
सबन कौं बड़े सुहाने,
दुक दुक कैं भर लए, कल्दारन् सें
घर कोठी गोदाम
सबन कौं बड़े सुहाने,
जात पात में लड़ा भिड़ा कैं,
कर रए अल्ला राम
सबन कौं बड़े सुहाने,
बगल में रखबैं तिलक तराजू,
करवैं टोपी कौं बदनाम,
सबन कौं बड़े सुहाने,
घानैं धरकैं देश सबअौ जे,
तान पिछौरा,कर रए हैं आराम
सबन कौं बड़े सुहाने ||
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shayar of 2017



खुदा का शुक्र है आँखों के शहर में मेरे....
रात आई है आज सदर- ए- मोहतरम बनकर...
मुद्दतों बाद मुझे नींद आने वाली है....
चलो मैं फिर से वही ख़्वाब देख लेता हूँ...
हर किसी व्यक्ति को उसके जीवन में एक मोह जरूर होता है और वो मोह है #स्वार्थ, स्वार्थ ,अपने घर में अपने बड़ों से #प्रेम पाने का उनसे #शाबाशी पाने का, उनसे #स्नेह का और जब आपकी ये #आकांक्षा #सम्मान में परिवतिर्त होल्डर आपको प्राप्त हो जाए तो और क्या चाहिए...
********** आप सभी का स्वागत है *********
#आज शाम 6 बजे से #ऋषिवाल्मीकि_जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ,मेरे अपने #बरेलीशहर के प्रतिष्ठि पारंपरिक #कविसम्मेलन में आप सभी का स्वागत है।
विशेष आभार आदरणीय Rohit Rakesh भैया यूँ ही स्नेह बनाये रखियेगा, आभार आदरणीय #मनोज_थपलियाल जी मेला अध्यक्ष, आभार #बरेली।
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Madhyam bhaiya



खुदा का शुक्र है आँखों के शहर में मेरे....
रात आई है आज सदर- ए- मोहतरम बनकर...
मुद्दतों बाद मुझे नींद आने वाली है....
चलो मैं फिर से वही ख़्वाब देख लेता हूँ...
हर किसी व्यक्ति को उसके जीवन में एक मोह जरूर होता है और वो मोह है #स्वार्थ, स्वार्थ ,अपने घर में अपने बड़ों से #प्रेम पाने का उनसे #शाबाशी पाने का, उनसे #स्नेह का और जब आपकी ये #आकांक्षा #सम्मान में परिवतिर्त होल्डर आपको प्राप्त हो जाए तो और क्या चाहिए...
********** आप सभी का स्वागत है *********
#आज शाम 6 बजे से #ऋषिवाल्मीकि_जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ,मेरे अपने #बरेलीशहर के प्रतिष्ठि पारंपरिक #कविसम्मेलन में आप सभी का स्वागत है।
विशेष आभार आदरणीय Rohit Rakesh भैया यूँ ही स्नेह बनाये रखियेगा, आभार आदरणीय #मनोज_थपलियाल जी मेला अध्यक्ष, आभार #बरेली।

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Wednesday, 27 September 2017

बड़ा बेचैन है ये दिल

हमारे गम तराजू में नही तुम तोल पाओगे
अगर बेचों बाजारों में नही फिर मोल पाओगे
रहा खामोश जन्मों से तुम्हारे प्यार में पागल
हमे लगता नही अब भी तुम हमसे बोल पाओगे

   कवि नदीम जगदीशपुरी
       8795124923


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Saturday, 23 September 2017

Sampat Saral In Nimboda Bhinmal Hasya Kavi Sammelan हास्य कवि सम्मेलन

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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जबरदस्त हास्य कवि सम्मेलन ।। Hasya Kavi Sammelan ।। Ashok Nagar

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Hindi kavi ankit chakrawarti part 2 at puranpur kavisammelan 09sep2017

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hindi kavi ankit chakrawarti part1 at puranpur kavisammelan

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भगवाधारी राम की,

यहाँ जन्मभूमि दशरथ नन्दन भगवाधारी राम की,
यहाँ व्रजभूमि वंशी वाले नन्दगोपाल श्याम की,
असुरो वध हेतु श्री राम का भगवा धारा जाता है।
कृष्णा का प्रेम ग्रन्थ बच्चो को सिखलाया जाता है।
.......

बोलो बांके बिहारी लाल की
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हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती...मुस्कराकर पास मेरे बैठ गयी आकर,



मुस्कराकर पास मेरे बैठ गयी आकर,
चन्दन बाग की फुलझड़ी लगने लगी।
सावन की बूंदों ने जो अंग तेरा भिगो दिया,
सागर पार की जलपरी दिखने लगी।।
साथ साथ पथ पे साथी तरह चल दिये ,
आज अपने दोस्तो की नींद उड़ने लगी।
बातो ही बातों में उसने अपना बना लिया,
चक्रवर्ती के मन मन्दिर बसने लगी।।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती
8954702290
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हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती

प्यार ऐसा दुनियां में छुपया भी नही जाता बताया भी नही जाता।
लड़की इज़हार करती हो रुलाया नही जाता सताया भी नही जाता।
अपनी झूठी शौहरत पर मत गुमान कर प्यारे मेरी बात को समझो,
इस दुनियां में कोई कुछ लेकर नही आता साथ साया भी नही जाता।
😘😘😘 😘 😘😘😘 😘 😘😘😘 😘 😘😘😘
हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती
8954702290
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