ज़ुबां के बाद जब आँखे भी नहीं पढ़ता वो।
मुझे फिर दांव पर आंसू लगाने पड़ते हैं।।
मुझे फिर दांव पर आंसू लगाने पड़ते हैं।।
तुम्हें तो मुझको फ़क़त हँसते हुए देखना है।
मुझे तो गम भी, ठिकाने लगाने पड़ते हैं।।
मुझे तो गम भी, ठिकाने लगाने पड़ते हैं।।
~ Madhyam Saxena bhaiya
nice sir
ReplyDeletethanks
ReplyDeleteमाध्यम सक्सेना जी बेहद खूबसूरत लिखा आपने
ReplyDeleteHttps://nkutkarsh.blogspot.com
बेहतरीन
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