हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Wednesday, 27 September 2017

बड़ा बेचैन है ये दिल

हमारे गम तराजू में नही तुम तोल पाओगे
अगर बेचों बाजारों में नही फिर मोल पाओगे
रहा खामोश जन्मों से तुम्हारे प्यार में पागल
हमे लगता नही अब भी तुम हमसे बोल पाओगे

   कवि नदीम जगदीशपुरी
       8795124923


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Saturday, 23 September 2017

Sampat Saral In Nimboda Bhinmal Hasya Kavi Sammelan हास्य कवि सम्मेलन

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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10. Sampat Saral – Hamari Association Mushaira 2014 - 720p HD – Dubai 2014

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जबरदस्त हास्य कवि सम्मेलन ।। Hasya Kavi Sammelan ।। Ashok Nagar

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Hindi kavi ankit chakrawarti part 2 at puranpur kavisammelan 09sep2017

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hindi kavi ankit chakrawarti part1 at puranpur kavisammelan

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भगवाधारी राम की,

यहाँ जन्मभूमि दशरथ नन्दन भगवाधारी राम की,
यहाँ व्रजभूमि वंशी वाले नन्दगोपाल श्याम की,
असुरो वध हेतु श्री राम का भगवा धारा जाता है।
कृष्णा का प्रेम ग्रन्थ बच्चो को सिखलाया जाता है।
.......

बोलो बांके बिहारी लाल की
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हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती...मुस्कराकर पास मेरे बैठ गयी आकर,



मुस्कराकर पास मेरे बैठ गयी आकर,
चन्दन बाग की फुलझड़ी लगने लगी।
सावन की बूंदों ने जो अंग तेरा भिगो दिया,
सागर पार की जलपरी दिखने लगी।।
साथ साथ पथ पे साथी तरह चल दिये ,
आज अपने दोस्तो की नींद उड़ने लगी।
बातो ही बातों में उसने अपना बना लिया,
चक्रवर्ती के मन मन्दिर बसने लगी।।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती
8954702290
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हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती

प्यार ऐसा दुनियां में छुपया भी नही जाता बताया भी नही जाता।
लड़की इज़हार करती हो रुलाया नही जाता सताया भी नही जाता।
अपनी झूठी शौहरत पर मत गुमान कर प्यारे मेरी बात को समझो,
इस दुनियां में कोई कुछ लेकर नही आता साथ साया भी नही जाता।
😘😘😘 😘 😘😘😘 😘 😘😘😘 😘 😘😘😘
हिन्दी कवि अंकित चक़वर्ती
8954702290
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शुभम शुक्ल...........जमाना रोक लेता है।

कोई आरमान गढ़ता हूँ जमाना रोक लेता है।
उसे आँखों से छूता हूँ अंधेरा रोक लेता है।
बड़ा अफसोस होता है बड़ी हिम्मत जुटा करके,
तुम्हें मिलने को आता हूँ दरोगा रोक लेता है।
-शुभम शुक्ल
8127089997

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बनाना फूल ग़र उसको मुझे डाली बना देना।
बहुत एहसान मानूँगा जो घर वाली बना देना
के उनको देखकर होंठों की चाहत है मेरे मौला,
मुझे अगले जनम में होंठ की लाली बना देना।
-शुभम शुक्ल
8127089997


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Friday, 22 September 2017

अभी अरमान भी कच्चे हैं तुमको डर नहीं लगता।

अभी अरमान भी कच्चे हैं तुमको डर नहीं लगता।
यहाँ सब प्यार के अन्धे हैं तुमको डर नहीं लगता।
कभी फूलों के जैसी मुस्कुराहट में नहीं खिलना,
जमाने में बहुत भौंरे हैं तुमको डर नहीं लगता।
-शुभम शुक्ल
8127089997

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शुभम् शुक्ल

बिना मौसम जमीं में बीज बोने से मिलेगा क्या?
जरा हँस दो हमारी जान रोने से मिलेगा क्या? 
अभी जी भर के आओ प्यार कर लें एक दूजे से,
हमारे बाद हमसे प्यार होने से मिलेगा क्या?
-शुभम् शुक्ल 
8127089997


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अभिषेक भारती"चंदन"

इश्क की राह में हाल बेहाल है,
लूट कर कह रही है तू' कंगाल है।
बिन पिये लड़खड़ा क्यों रहे क्या पता,
बेवड़ो सी हुयी अब में'री चाल है।
अभिषेक भारती"चंदन"
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Sunday, 17 September 2017

Kavi Nadeem

मोहब्बत चीज क्या होती अगर तुम जान लेती तो
इशारों में बताया था अगर तुम मान लेती तो
छोड़कर फिर कभी तुमको यहां से हम नही जाते
साथ चलना है तुमको संग अगर ये ठान लेती तो

           Kavi Nadeem


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Saturday, 16 September 2017

हमारी याद आयगी .....


इन्हें भी याद आएगी उन्हें भी याद आएगी
चला जाऊंगा जब मै फिर तुम्हे भी याद आएगी
भूलना लाख चाहो पर भुला सकते नहीं हमको
नहीं देखोगे जब हमको हमारी याद आयगी
   कवि नदीम जगदीशपुरी
        8795124923

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Tuesday, 5 September 2017

Madhyam Saxena

ज़ुबां के बाद जब आँखे भी नहीं पढ़ता वो।
मुझे फिर दांव पर आंसू लगाने पड़ते हैं।।
तुम्हें तो मुझको फ़क़त हँसते हुए देखना है।
मुझे तो गम भी, ठिकाने लगाने पड़ते हैं।।
Madhyam Saxena bhaiya
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मध्यम

डर लगा रहता है आँखों को उजाला देखकर।
फायदा कुछ भी नहीं हद से ज़्यादा देखकर।।
आ गया उनका तसव्वुर, मिसरा-ए-ऊला में जब।
मिसरा -ए- सानी लगाया उनका चेहरा देखकर।।
"मध्यम"
पीठ पीछे फेर लार बैठे हुए मुँह सभी इक सिवाए आपके Vineet Shukla भैया आपको मुहब्बत बाक सबको ठेंगा 👎😛😍 Talib Toofani जानी दुश्मन Alabh Sharma भिया धोखा Sandesh Dhingra भिया कट्टर विरोधी 😅😅😅 और वो छुपा रुस्तम Vikalp Dawane भिया झाड़ी से निकल के आने का 












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शुभम शुक्ल

मन भ्रमित है जगत से विरति कीजिए।
इस अकिंचन की चरणों में रति कीजिए।
हे महाप्राण गुरुवर भुवन ज्ञानपति,
हो सके तो कुमति को सुमति कीजिए।
-शुभम शुक्ल
8127089997
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शुभम शुक्ल

वो खुश हो ना हो लेकिन हम इबादत देख लेते हैं।
सजा कोई नहीं मिलती शिकायत देख लेते हैं।
हमें मालूम है हम आसमां तक जा नहीं सकते,
मगर हम रोज अपने पर की ताकत देख लेते हैं।
-शुभम शुक्ल
8127089997



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शुभम शुक्ल

हमारी जान बिस्मिल्ला की शहनाई के जैसी हो।
मगर प्यासा हूँ अब सावन में पुरवाई के जैसी हो।
हमारा प्यार बढ़ता जा रहा जैसे के जनसंख्या,
मगर मै क्या करूँ तुम भी तो महँगाई के जैसी हो।
-शुभम शुक्ल
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बहन एक रेशमी धागे में दुनिया बाँध लेत है

कि जैसे देहरी घर भर का नक्शा बाँध लेती है।
कि जैसे धूप पर्वत का नजारा बाँध लेती है।
कहीं भाई के आगे कोई भी मुश्किल न आ जाए,
बहन एक रेशमी धागे में दुनिया बाँध लेत है।
-शुभम शुक्ल 
8127089997
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शुभम शुक्ल

सिर्फ मैने नहीं शरारत की,
तुमने भी चूम चूम देखा था।
सिर्फ मेरा ही दोष थोड़ी है,
तुमने भी घूम घूम देखा था।
-शुभम शुक्ल

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लता आवाज देती है निकुँजों के तले आना।

लता आवाज देती है निकुँजों के तले आना।
छनन छन पैंजनी और बाँसुरी लेकर चले आना।
तुम्हारे बिन सभी खुशियाँ सभी से रूठ बैठी हैं,
कन्हैया आ रहे हो तो वो खुशियाँ साथ ले आना।
-शुभम शुक्ल
8127089997
 — with R.K. Shukla.
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शुभम शुक्ल

मन भ्रमित है जगत से विरति कीजिए।
इस अकिंचन की चरणों में रति कीजिए।
हे महाप्राण गुरुवर भुवन ज्ञानपति,
हो सके तो कुमति को सुमति कीजिए।
-शुभम शुक्ल 
8127089997







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Kumar Vishwas Beautiful Poetry At Sahitya Aaj Tak Event

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Kumar Vishwas Beautiful Poetry At Sahitya Aaj Tak Event

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Sunday, 3 September 2017

Best Urdu Shayri

उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ

उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ

डाल कर ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ

ज़ब्त कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ

उस के पहलू में जो ले जा के सुला दूँ दिल को
नींद ऐसी उसे आए के जगा भी न सकूँ

नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ

बेवफ़ा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ

इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ

अमीर मीनाई

शब्दार्थ:
हसरत-इच्छा
ज़ब्त-सहनशीलता
पहलू-गोद

अर्श-आसमान
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Best Gazal of year love

जब लगे ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये


जब लगे ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये
है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाये|

तिश्नगी कुछ तो बुझे तिश्नालब-ए-ग़म की
इक नदी दर्द के शहरों में बहा दी जाये|

हम ने इंसानों के दुख दर्द का हल ढूँढ लिया
क्या बुरा है जो ये अफ़वाह उड़ा दी जाये|

हम को गुज़री हुई सदियाँ तो न पहचानेंगी
आने वाले किसी लम्हे को सदा दी जाये|

फूल बन जाती हैं दहके हुए शोलों की लवें
शर्त ये है के उन्हें ख़ूब हवा दी जाये|

कम नहीं नशे में जाड़े की गुलाबी रातें
और अगर तेरी जवानी भी मिला दी जाये|

हम से पूछो ग़ज़ल क्या है ग़ज़ल का फ़न क्या है
चन्द लफ़्ज़ों में कोई आह छुपा दी जाये|

जाँ निसार अख़्तर
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डॉ.बशीर बद्र

होठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते

होठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते
साहिल पे समंदर के ख़ज़ाने नहीं आते।

पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी
आंखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते।

दिल उजडी हुई इक सराय की तरह है
अब लोग यहां रात बिताने नहीं आते।

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।

इस शहर के बादल तेरी जुल्फ़ों की तरह है
ये आग लगाते है बुझाने नहीं आते।

क्या सोचकर आए हो मुहब्बत की गली में
जब नाज़ हसीनों के उठाने नहीं आते।

अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गये है
आते है मगर दिल को दुखाने नहीं आते।


डॉ.बशीर बद्र
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चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक 
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
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जिगर मुरादाबादी "अब तो ये भी नहीं रहा एहसास"

अब तो ये भी नहीं रहा एहसास

अब तो ये भी नहीं रहा एहसास
दर्द होता है या नहीं होता ।

इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा
आदमी काम का नहीं होता ।

टूट पड़ता है दफ़अतन जो इश्क़
बेश-तर देर-पा नहीं होता ।

वो भी होता है एक वक़्त कि जब
मा-सिवा मा-सिवा नहीं होता ।

दिल हमारा है या तुम्हारा है
हम से ये फ़ैसला नहीं होता ।

जिस पे तेरी नज़र नहीं होती
उस की ज़ानिब ख़ुदा नहीं होता ।

मैं कि बे-ज़ार उम्र के लिए
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ।

वो हमारे क़रीब होते हैं
जब हमारा पता नहीं होता ।

दिल को क्या क्या सुकून होता है
जब कोई आसरा नहीं होता ।

हो के इक बार सामना उन से
फिर कभी सामना नहीं होता ।

-जिगर मुरादाबादी
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आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो।
जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो।
संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो।
ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर
नदी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो।
जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर
चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो।
- जाँ निसार अख़्तर
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Dard Dil ham sah nahi pate By Nadeem Jagdishpuri

दर्द दिल के हम सह नहीं पाते
बिना देखे उसे हम रह नहीं पाते
मिला दे उससे या दैदे मौत ऐ खुदा
अब ऐसे जख्म हम सह नहीं पाते

Dard Dil ke ham sah nahi pate
bina dekhe use ham rah nahi pate
mila de usse ya dede maut ai khuda
ab aise jakham ham sah nahi pate

    कवि नदीम जगदीशपुरी


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Kavi Nadeem Jagdispuri "दूर हूँ मै अब तक "

इक ख्याल दिल को सताने लगता है
तन्हाई में याद तेरी दिलाने लगता है
दूर हूँ मै अब तक तुझसे ऐ "चाँद"
बात यही मुझे बस रुलाने लगता है


yahi khyal dil ko satane lagata hai
tanhai me yad teri dilane lagta hai
door hun mai ab tak tujhse ai chand
baat yahi mujhe bs rulane lagta hai

  Kavi Nadeem Jagdishpuri




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