हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Monday, 30 April 2018

Kavi Nadeem Jagdishpuri

तेरी दिल की दुनिया में अब घूमना है मुझको
आकर नशे में तेरे अब झूमना है मुझको
हो दूर क्यू खड़े तुम पास जरा आओ
होठों को तेरे होंठों से अब चूमना है मुझको
     कवि नदीम जगदीशपुरी



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Maya Srivastav



Wo chhoti chhoti baaton pe rooth jana tera......
Aur thoda manane pe maan jana tera.... 
Aaj bhi mujhe me baaki hai yaadein teri....
Aa meri ankhon me padh le fasana tera....
Wo mere dard me toot jana tera.....
aur khushi me meri muskurana tera....
Aaj bhi yaad hai mujhe jaanejaa khwab bankar meri ankhon me theher jaana tera.....
Meri sab galtiyon ko bhool jaana tera....
Mujhe seene se lagakar muskurana tera....
Kaise kar loon yakeen ke fareebi tha tu....
Aur fareb tha mera dil me dhadk jaana tera....
🌸🌸🌸MAYA S.M.🌸🌸Image may contain: 1 person, closeup
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Sunday, 22 April 2018

अब पास आओ तुम भी नम्बर जरा बता दो

हूँ जमी पर मै भी अम्बर जरा बता दो
होगा कब अपना यारा स्वयंबर जरा बता दो
है ठीक नहीं यूँ हीं मन ही मन मुस्कराना
अब पास आओ तुम भी नम्बर जरा बता दो
       कवि नदीम
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Wednesday, 11 April 2018

शुभम् शुक्ल



एक कोशिश और-
कोई भी आईना किस शख्स को अच्छा बताता है।
जो जैसा देखता है उसको वो वैसा बताता है।
कि आधा गाँव जिस बरगद के नीचे छाँव लेता है,
उसी बरगद को पूरा गाँव क्यूँ बूढ़ा बताता है।
कहीं मक्खी न बैठें माँ के ज़ख्मों पर रखे था मुँह,
वो अपने आपको एक गाय का बछड़ा बताता है।
"अब उन होंठों के आगे हम सभी को कौन पूछेगा"
मेरी थाली में रखा एक रसगुल्ला बताता है।
पसीना खून निकला है हमारी फीस की ख़ातिर,
सितारे क्या हैं ये तो बाप का कन्धा बताता है।
मेरी कमज़ोर आँखें थीं बहू का जार क्या टूटा, 
ज़रा सी बात पर बेटा मुझे अन्धा बताता है।
मेरी आँखों में एक चेहरा तेरे चेहरे से मिलता है,
तेरी आँखों के कमरे का ये आईना बताता है।
-शुभम् शुक्ल
8127089997


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कवि विजय कुमार राज

अगर तुम सामने हो धैर्य हम खोते नहीं अम्मा।
तुम्हारा हाथ सिर पर हो तो हम रोते नहीं अम्मा।
तेरा आँचल मुझे यादें दिला देता है बचपन कीं।
बिना लोरी सुनें रातों में हम सोते नहीं अम्मा।

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Nadeem Khan Anuj

मुल्क में मेरे अब ना कोई दंगा हो जाए 
फिदा वतन पर हर कीट पतंगा हो जाए 
जाँ न्योछावर कर दूँ अपनी वतन पर 
कफ़न मेरा भी दोस्तों तिरंगा हो जाए 
By: Nadeem Khan Anuj / Shayar Anuj
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कवि नदीम जगदीशपुरी

दिल की बात निगाहों में हो गई
चलते फिरते यूँ ही राहों में हो गई

अजी अब हाल हमारा न पूछिये
कल तो रात उन्ही की बाँहों में हो गई

टूट गई पंखुडियां सारी गुलाब की
महक सारी फिजाओं में हो गई

कोयल भी गीत गुनगुनाने लगी
बात इतनी सी हवाओं में हो गई

  कवि नदीम जगदीशपुरी

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