गज़ल~~~
शराफ़त को हमारी अाज़माना भी ज़रूरी है,
हकीकत ये ज़माने को बताना भी ज़रूरी है |
शराफ़त को हमारी अाज़माना भी ज़रूरी है,
हकीकत ये ज़माने को बताना भी ज़रूरी है |
न बोले हम कभी बस इंतहा देते रहे हर पल,
हमे ये बात शायद दोहराना भी ज़रूरी है |
हमे ये बात शायद दोहराना भी ज़रूरी है |
अज़ब तो है, न आये रास तुझ को प्यार ये मेरा,
मुहब्बत पे यकीं सब को न आना भी ज़रूरी है |
करार न पा सके हम भी, मुहब्बत ने दिया जो गम,
इबादत इश्क का अब तो फ़साना भी ज़रूरी है |
अधूरी रह गयी, है प्यार दे के भी सुदिप्ता अब,
लगे अब जिंदगी से भाग जाना भी जरूरी है |
मुहब्बत पे यकीं सब को न आना भी ज़रूरी है |
करार न पा सके हम भी, मुहब्बत ने दिया जो गम,
इबादत इश्क का अब तो फ़साना भी ज़रूरी है |
अधूरी रह गयी, है प्यार दे के भी सुदिप्ता अब,
लगे अब जिंदगी से भाग जाना भी जरूरी है |

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