कि जैसे देहरी घर भर का नक्शा बाँध लेती है।
कि जैसे धूप पर्वत का नजारा बाँध लेती है।
कहीं भाई के आगे कोई भी मुश्किल न आ जाए,
बहन एक रेशमी धागे में दुनिया बाँध लेत है।
-शुभम शुक्ल
8127089997
कि जैसे धूप पर्वत का नजारा बाँध लेती है।
कहीं भाई के आगे कोई भी मुश्किल न आ जाए,
बहन एक रेशमी धागे में दुनिया बाँध लेत है।
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