तुमने कहा है तो, सुना ही दूं
हाल दिल का तुम्हें बता ही दूं
बेनकाब हो जाएगी मोहब्बत
भरी महफ़िल में आज गा ही दूँ
कब तक छुपाउंगा जमाने से
अब चाँद से पर्दा हटा ही दूँ
शौक हैं साहेब, नशा तो नही
दो चार ग़ज़ल और सुना ही दूँ
कोई नही, हम दोनो के सिवा
कहो चरागों को अब बुझा ही दूँ
क्या हुनर क्या तजुर्बा कुछ नही नदीम
अब अधर से अधर को मिला ही दूँ
(अधर=होंठ)
कवि नदीम जगदीशपुरी
whatsapp 8795124923
हाल दिल का तुम्हें बता ही दूं
बेनकाब हो जाएगी मोहब्बत
भरी महफ़िल में आज गा ही दूँ
कब तक छुपाउंगा जमाने से
अब चाँद से पर्दा हटा ही दूँ
शौक हैं साहेब, नशा तो नही
दो चार ग़ज़ल और सुना ही दूँ
कोई नही, हम दोनो के सिवा
कहो चरागों को अब बुझा ही दूँ
क्या हुनर क्या तजुर्बा कुछ नही नदीम
अब अधर से अधर को मिला ही दूँ
(अधर=होंठ)
कवि नदीम जगदीशपुरी
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