हजारों फूल खिलते हैं, खुले जब भी अधर तेरा
लहर लेतीं तभी नदियाँ, कमर लचके अगर तेरा
निगाहों की कभी कोई, तुम्हारी बात ना पूछे
नशे में चूर हो जाता, पड़े जिस पर नज़र तेरा
एम. "मीमांसा"
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