तेरी यादों में उड़ करके कहीं बादल न हो जाऊ
रहूँ तेरी निगाओं में कहीं काजल न हो जाऊं
मुस्कराना छोड़ दो ऐसे कहीं फिर हाल ये न हो
देख लूँ ऐसे तुमको मैं फिर पागल न हो जाऊ
Kavi Nadeem jagdishpuri
रहूँ तेरी निगाओं में कहीं काजल न हो जाऊं
मुस्कराना छोड़ दो ऐसे कहीं फिर हाल ये न हो
देख लूँ ऐसे तुमको मैं फिर पागल न हो जाऊ
Kavi Nadeem jagdishpuri